-दिनेश ठाकुर
कॉमेडी गलतियों से भी पैदा होती है (शेक्सपीयर के नाटक 'कॉमेडी ऑफ एरर्स' से प्रेरित फिल्में 'दो दूनी चार', 'गोलमाल') और गलतफहमियों से भी। ओटीटी प्लेटफॉर्म पर आई वेब सीरीज 'ए सिम्पल मर्डर' ( A Simple Murder Web Series ) में गलतफहमियों से हंसाने की कोशिश की गई है। इसे बनाने वाले अपने मकसद में कुछ हद तक कामयाब रहे हैं। आधे हिस्से तक यह डार्क कॉमेडी गुदगुदाती भी है, ठहाके भी लगवाती है, लेकिन बाद में इस सिलसिले की डोर सीरीज की टीम के हाथों से फिसल जाती है और यह आम मसाला फिल्मों की पटरी पकड़ लेती है। फिर भी अपनी इस पहली कोशिश में निर्देशक सचिन पाठक ( Sachin Pathak ) उम्मीद जगाते हैं कि अगर मौका मिले, तो वे उस तरह की सलीकेदार कॉमेडी फिल्में बना सकते हैं, जैसी प्रियदर्शन (हेरा-फेरी, हंगामा, हलचल) बना चुके हैं।
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पंडित, कुंडली और कांड
'ए सिम्पल मर्डर' का किस्सा यूं शुरू होता है कि एक मंत्री जी अपनी बेटी की हत्या करवाना चाहते हैं, क्योंकि वह मुस्लिम युवक से प्रेम करती है। दिल्ली के पंडित (यशपाल शर्मा) ( Yashpal Sharma ) को हत्या की 'सुपारी' दी जाती है। यह पंडित कुंडली कम पड़ता है, कांड ज्यादा करवाता है। अमित सियाल और सुशांत सिंह उसके भाड़े के हत्यारे हैं। अमित सियाल एक परिवार का सफाया कर पांच करोड़ रुपए कमा चुका है। वह अपनी प्रेमिका के साथ कहीं और बसने की तैयारी में है। वह खुद को शायर भी मानता है और गालिब की शान में गुस्ताखी करते हुए 'फना हो गए तेरी आंखों में देखके गालिब/ कि अब तो पत्थर भी इंसान से रास्ता पूछता है' टाइप के ऊटपटांग शेर सुनाता है। आम फिल्मी खलनायकों की तरह जुर्म करते समय न वह आंखें निकालता है, न नाक फुलाता है। वह बड़े आराम से मकान में धमाका करने के बाद भी यूं सहज बना रहता है, जैसे कुछ हुआ ही न हो।
नायक का घर गिरवी, बीवी खफा
इधर, नायक (मोहम्मद जीशान अयूब) ( Mohammad Zeeshan Ayub ) 'घर गिरवी, बीवी खफा थी/ परिस्थिति मजबूरी मेरी, आपसे रंजिश कहां थी' जैसी बेसिरपैर की शायरी के साथ काम की तलाश में भटक रहा है। घर में बीवी (प्रिया आनंद) उसे घास नहीं डालती, क्योंकि घास वह अपनी कंपनी के बॉस को डाल रही है। अचानक गलती से सुशांत सिंह के बदले पंडित नायक को फोन कर देता है और यह भाई पांच लाख रुपए के साथ रिवॉल्वर (जो उसने पहले कभी नहीं चलाई) लेकर मंत्री की बेटी की हत्या करने चल देता है, लेकिन गलतफहमी में अमित सियाल की प्रेमिका मारी जाती है। अमित के पांच करोड़ रुपए भी नायक के हाथ लग जाते हैं। इसके बाद शुरू होती है भागदौड़, जिसमें कॉमेडी का कुछ और तड़का लगाने के लिए पुलिस वाले भी शामिल हो जाते हैं।
सभी प्रमुख किरदार नंबरी
'ए सिम्पल मर्डर' के सभी प्रमुख किरदार नंबरी हैं। उनके लिए धन ही भगवान है। इसके लिए वे रिश्तों को भी कुर्बान कर सकते हैं। नायक की बीवी का ख्वाब है कि वह नोटों के बिस्तर पर आराम फरमाए। इसीलिए बेरोजगार पति को झांसा देकर पहले वह अपने बॉस पर डोरे डालती है और जब हत्या के बाद नायक पांच करोड़ रुपए लेकर घर पहुंचता है, तो वह यह रकम लेकर भाग जाती है- बॉस के साथ रहने के लिए। लेकिन बुरे काम का बुरा नतीजा। नोटों के बिस्तर पर भी उसके लिए आराम 'हराम' हो जाता है। गलत तरीके से आया धन चैन की जिंदगी नहीं दे पाता। बॉस भी नंबरी है। उसका चक्कर अमित सियाल की प्रेमिका से भी चल रहा था। यह प्रेमिका अमित को 'सनकी' मानती थी और उसके पांच करोड़ रुपए लेकर बॉस के साथ विदेश भागना चाहती थी।
दूसरे भाग की गुंजाइश
करीब पौने चार घंटे की इस वेब सीरीज की पटकथा शुरुआती आधे हिस्से में चुस्त-दुरुस्त है। निर्देशक सचिन पाठक की इस हिस्से पर पकड़ भी अच्छी रही है। वे प्रियदर्शन के सहायक रह चुके हैं। 'ए सिम्पल मर्डर' के कई दृश्यों में प्रियदर्शन की शैली झलकती है। सीरीज में सभी कलाकार सहज रहे हैं। इनमें से ज्यादातर क्लाइमैक्स तक शहीद हो जाते हैं। दो को जिंदा रखा गया है। यानी इस सीरीज का दूसरा भाग बनने की गुंजाइश है।
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वेब सीरीज : ए सिम्पल मर्डर
० रेटिंग : 3/5
० अवधि : 3.49 घंटे
० निर्देशक : सचिन पाठक
० लेखक : अखिलेश जायसवाल, प्रतीक पयोधी
० फोटोग्राफी : एस.भारद्वाज
० कलाकार : मोहम्मद जीशान अयूब, प्रिया आनंद, अमित सियाल, सुशांत सिंह, यशपाल शर्मा, विक्रम कोचर, गोपाल दत्त, अयाज खान आदि।
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