बॉलीवुड की टॉप 10 महिला प्रधान फिल्में , जिनमें एक पर प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने लगा था प्रतिबंध - BOLLYWOOD NEWS

Thursday, November 19, 2020

बॉलीवुड की टॉप 10 महिला प्रधान फिल्में , जिनमें एक पर प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने लगा था प्रतिबंध

नई दिल्ली। हमारे समाज में हमेशा से महिलाओं को एक अबला नारी समझकर दबाया जाता रहा है। और इस नजरिए को बदलने के लिए बॉलीवुड इंडस्ट्री का सबसे बड़ा हाथ रहा है इस फिल्म इंडस्ट्री ने महिलाओं की ताकत को पहचानने के लिए ऐसी फिल्में बनाई है जिनके किरदार को देख लोगों के इससे बड़ी रेरणा भी मिली है। बॉलीवुड ने जहां महिलाओं के किरदार में मजबूर मां, भोली-भाली पत्नी, प्यार में पागल प्रेमिका, प्यारी सी बहन, अपनी सीमा में रहने वाली बेटी, को रोल दिखाए है तो वही अपनी सुरक्षा के लिए उसके अंदर छुपी ताकत से भी परिचित भी कराया है। पिछले कुछ सालों में बॉलीवुड में महिला केंद्रित फिल्मों की लहर चल पड़ी है। इन फिल्मों को देखकर ना केवल महिलाएं गर्व महसूस करती है बल्कि फिल्मों से प्रेरणा लेकर होकर खुद के लिए लड़ने को भी तैयार रहती हैं।

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आइये जानते है उन फिल्मों के बारें में..

मदर इंडिया (1957)

जब भी महिलाओं के दर्द के बारे में बात होती है उस समय फिल्म मदर इंडिया के दृश्य आखों में झूम उठते है। इस फिल्म ने हमें यह सिखाया है कि भले ही जीवन के रास्ते कठिनाइयों से कितने ही भरे हो लेकिन इन्हें हर तकलीफ के साथ पार करना चाहिए। 'मदर इंडिया' फिल्म महिलाओं के लिए एक बड़ी प्रेरणा बनकर सामने आई थी।

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आंधी (1975)

1975 में बनी फिल्म ‘आंधी’ गुलजार के द्वारा निर्देशित की गई थी इस फिल्म में नायिका सुचित्रा सेन के किरदार को बेहद सराहा गया था लेकिन कुछ जगह उनकी हेयर स्टाइल और एक हाथ से साड़ी का पल्लू संभालने तरीका ऐसा था कि खुद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने फिल्म के प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगा दिया। क्योंकि कुछ कुछ जगह पर उनके किरदार में इंदिरा गांधी की झलक साफ देखने को मिलती थी।

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मर्दानी

फिल्म ‘मर्दानी’ में रानी मुख़र्जी के करिदार ने सभी का दिल जीत लिया । फिल्म में रानी एक पुलिस अफसर के किरदार में नज़र आती हैं जो एक छोटी सी लड़की के किडनैपिंग के बाद मानव तश्किरी करने वाले गैंग का भंडाफोड़ करती हैं।

मैरी कॉम

2014 में आई प्रियंका चोपड़ा की फिल्म ‘मैरी कॉम’ को हर उम्र के लोगों ने बेहद सराहा। यह फिल्म ओलंपिक चैंपियन मैरी कॉम के असल ज़िन्दगी पर आधारित थी। फिल्म साल की बेस्ट फिल्मों में से एक थी और प्रियंका की एक्टिंग ने सबका दिल जीता।

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दामिनी (1993)
राजकुमार संतोषी की फिल्म 'दामिनी' एक ऐसी नारी की गाथा है जो अन्याय के विरुद्ध अवाज उठाकर मरते दम तक संघर्ष करते हैं। इस फिल्म दामिनी में महिलाओं के उपर हो रहे अत्याचार को बताया है कि किस तरह से किसी के घर पर काम करने वाली नौकरानी के साथ दुष्कर्म करके अपने पाप को छिपाने की कोशिश करने में लोग लगे रहते है। मीनाक्षी शोषाद्री के किरदार को हर किसी ने बेहद ही सराहा था।

चांदनी बार (2001)
मधुर भंडारकर की फिल्म 'चांदनी बार' उन महिलाओं के जिंदगी पर प्रकाश डालती है जो किसी कारणवश बार में काम करने के लिए मजबूर हो जाती है। तबू इस फिल्म में मुख्य भूमिका में हैं।

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नो वन किल्‍ड जेसिका (2011)
राजकुमार गुप्ता द्वारा निर्देशित फिल्म सनसनीखेज जेसिका लाल हत्याकांड पर आधारित थी। जिसमें महिला के संघर्ष और उसके अंदर के दर्द को बताया गया है सबरीना के किरदार को विधा बालन ने अपनी दमदार ऐक्टिंग से जीवंत कर दिखाया है।

सात खून माफ (2011)
फिल्म ‘सात खून माफ’ यह ऐसा फिल्म है जिसमें महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचार को दिखाया गया है। इस फिल्‍म में सुजैन (प्रियंका चोपड़ा) सात शादियां करती हैं और अपने आधा दर्जन पतियों को मौत के घाट उतार देती हैं। कहानी का चयन बहुत ही उम्दा था, क्योंकि प्यार, नफरत, सेक्स, लालच जैसे जीवन के कई रंग इसमें नजर आए।

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फिल्म लज्जा

राजकुमार संतोषी की फिल्म लज्जा समाज के लिए प्रेरणा देने वाली फिल्म थी। इस फिल्म में महिलाओं के वो अतयाचार दिखाए गए थे जो आज भी रूकने का नाम नही ले रहे है। उन्हें मारा पिटा जाता है और उनका बलात्कार तक किया जाता है। ऐसे में जब कोई औरत असल में काली का रूप धारण कर लेती है तो वो विनाश करने पर ही उतर जाती है।

क्वीन

कंगना रनौत की ये फिल्म उन लड़कियों के लिए है जो प्यार में धोखा खा जाती है। फिर रास्ते ना मिलने के कारण वो या तो आत्महत्या कर बैठती है या फिर घर के कोने में बैठकर आंसू बहाती है। ये फिल्म उन सभी लड़कियों को बताती है की ज़िन्दगी बेहद खूबसूरत है और हम किसी से कम नहीं हैं। अपनी ज़िन्दगी अपने हिसाब से जियो।



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