नई दिल्ली। संतान सुख प्राप्त करने के लिए महिलाएं अहोई अष्टमी का व्रत रखती है जो इस साल 8 नवंबर (रविवार) को पड़ने वाला है। इस व्रत को रखने से पहले कई तरह के नियमों का पालन करना काफी आवश्यक होता है सही नियम से की गई पूजा का फल हमें जल्द ही प्राप्त होता है। अहोई अष्टमी व्रत को लेकर भी यही मान्यता है कि जो लोग नियमों का पालन किए बिना यह व्रत रखते है तो यह व्रत का फल पूरा नहीं मिलता है। इसलिए अहोई अष्टमी व्रत नियम का जानना और उनका पालन करना जरूरी होता है। यह व्रत प्रमुख रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं संतान की लंबी आयु और परिवार की सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं।
अहोई अष्टमी व्रत के नियम-
1. अहोई अष्टमी व्रत में पूजा करने के लिए लोग तांबे के लोटे का उपयोग अर्घ्य देने के लिए करते है। जो इस पूजा में नहीं करना चाहिए है। क्योंकि इस दिन तांबे के लोटे को अशुद्ध मानते हैं। कहते हैं कि अगर कोई व्रती महिला तांबे के लोटे से अर्घ्य देती है तो उसके व्रत का फल नष्ट हो जाता है।
2. इस दिन चांद की पूजा नही होती बल्कि तारों को अर्घ्य दिया जाता है। कहते हैं कि जिस तरह से करवा चौथ में चंद्रमा को अर्घ्य देने से व्रत पूर्ण होता है, उसी तरह अहोई अष्टमी में तारों को अर्घ्य देकर ही व्रत पूर्ण मानते हैं।
3. जो महिला अहोई अष्टमी का व्रत निर्जला रखती है उसे शुभ फल की प्राप्ति होती है।
4. अहोई अष्टमी के व्रत में नया करवा नहीं खरीदा जाता है। माना जाता है कि इस व्रत में करवा चौथ के करवे का ही इस्तेमाल करना चाहिए।
5. यह व्रत संतान की खुशहाली के लिए रखा जाता है। कहा जाता है कि अहोई अष्टमी के दिन बच्चों को न ही मारें और ना ही उन्हें अपशब्द बोलें।
6. कहते हैं कि अहोई अष्टमी का व्रत रखने वाली महिला को दिन में नहीं सोना चाहिए। ऐसा करने से पूजा-पाठ का फल नष्ट हो जाता है।
7. मान्यता है कि अहोई अष्टमी के दिन घर का कोई काम नही किया जाता।
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