नवरात्रि 2020 : कन्या पूजन के दौरान भूलकर भी ना करें ये गलतियां, ये सावधानी जरूर रखें - BOLLYWOOD NEWS

Friday, October 23, 2020

नवरात्रि 2020 : कन्या पूजन के दौरान भूलकर भी ना करें ये गलतियां, ये सावधानी जरूर रखें

नवरात्रि के नौ दिनों तक मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की विधि-विधान से पूजा की जाती है। नवरात्रि में कन्या पूजा, कुमारिका पूजा या कंजक पूजा का महत्व काफी बड़ा है। इस दौरान भक्‍त जन कन्‍या पूजन कर मां का आशीर्वाद प्राप्‍त करते हैं। कन्याओं को मां दुर्गा का स्वरुप माना जाता है। नवरात्रि के समय में 02 से 10 वर्ष तक की कन्याओं की पूजा की जाती है। वैसे तो नवरात्रि के प्रत्येक दिन के लिए कन्या पूजा का विधान है, लेकिन आमतौर पर दुर्गा अष्टमी और महानवमी के दिन कन्या पूजा की जाती है। वर्तमान परिस्थितियों में फेस्टिवल सीजन में पराली दहन, आपसी दूरी बनाकर न रखना और मास्क न पहनने के कारण संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है। ऐसे में इस बार घर में मौजूद कन्याओं और एक छोटे बालक के पूजन से काम चलाना बेहतर रहेगा।

कन्‍या पूजन के भी खास नियम होते हैं। कन्‍या पूजन क्‍यों आवश्‍यक है और इसे करना जरूरी क्यों बताया गया है। आइए जानते है नवरात्र में कंजक पूजा के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में........

 


यह भी पढ़े :— कमाल का हुनर : दोनों हाथ नहीं, ठुड्डी से खेलता है स्नूकर, दुनिया को दिया चैलेंज

 

knya00000.jpg

कन्‍या पूजन का महत्‍व
मां वैष्‍णो ने बालिका रूप में ही अवतार लिया था, इसलिए नवरात्र के दिनों में नौ कन्‍याओं की पूजा का विधान है। कुमारी पूजा या कन्या पूजन नवरात्रि एवं दुर्गा पूजा का एक अत्यन्त महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। ऐसी मान्यता है कि नवरात्रि पर कन्या पूजन करने से मां प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों को आशीर्वाद देकर उनकी सभी इच्छाओं को पूरा करती हैं। शास्त्रों के अनुसार, कन्या पूजन करने से सुख-शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। कन्या पूजन से पहले हवन करने का भी प्रावधान है। हवन करने और कन्या पूजन करने से मां भक्तों पर अपनी कृपा दृष्टि बरसाती हैं। ऐसा कहा जाता है कि नवरात्र व्रत के परायण के समय हवन आदि कराने से उतना लाभ नहीं मिलता जितना कन्‍या पूजन से मिलता है।


यह भी पढ़े :— इन पवित्र सरोवरों में स्नान करने मिलता है मोक्ष, मिलती है पापों से मुक्ति

knya00002.jpg

कन्या पूजन के दौरान सावधानियां
कन्‍या पूजन से जुड़ी पहली सावधानी ये है कि कंजक के रूप में बुलाई गई कन्‍याओं की उम्र 2 वर्ष से लेकर 11 वर्ष तक की होनी चाहिए। इन कन्‍याओं को विशेष नाम से पुकारा जाता है, जैसे दो वर्ष की कुमारी, तीन वर्ष की त्रिमूर्ति, चार वर्ष की कल्याणी, पाँच वर्ष की रोहिणी, छः वर्ष की बालिका, सात वर्ष की चंडिका, आठ वर्ष की शाम्भवी, नौ वर्ष की दुर्गा और दस वर्ष की कन्या सुभद्रा कहलाती है। कन्‍या पूजन से सम्मान, लक्ष्मी, विद्या और तेज प्राप्त होता है। इससे विघ्न, भय और शत्रुओं का नाश भी होता है।

यह भी पढ़े :— देश के इन 5 जगहों पर जाना है प्रतिबंध, लेनी पड़ती है विशेष परमिशन

knya00001.jpg

इन बातों का रखें ध्‍यान
कन्‍या पूजन के समय नौ कन्‍याओं के साथ एक लंगूर बालक का होना भी अति आवश्‍यक है। इसके साथ ही ध्‍यान रखें कि कन्‍या भोज और पूजन के लिए कन्‍याओं को एक दिन पहले ही आमंत्रित कर लें, पूजन के दिन कन्‍याओं को इधर-उधर से बुलाना ठीक नहीं रहता। कन्याएं जब घर आएं तो उन पर पुष्‍प वर्षा करें और मां दुर्गा के सभी नौ नामों के जयकारे लगाएं। अब इन कन्याओं को आरामदायक और स्वच्छ जगह पर बिठाकर सभी के पैरों को धोएं। माथे पर तिलक लगाए। सामर्थ्‍यानुसार भोजन कराएं, दान दें, उपहार दें और फिर से आशीर्वाद लें।

मां का पूजन एवं मंत्र
चौकी पर श्वेत रेशमी वस्त्र बिछा कर माता की प्रतिमा या चित्र रखें। उनके समक्ष घी का दीपक जलाकर चित्र पर नैवेद्य अर्पित करें। उन्हें दूध निर्मित प्रसाद चढ़ाएं।

मंत्र- ओम् ऐं हृीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै! ओम् महागौरी देव्यै नमः।।

इस मंत्र की एक या 11 माला का जाप करें। अपनी मनोकामना अभिव्यक्त करें। अष्टमी पर मनोकामना अवश्य पूर्ण होगी।



from Patrika : India's Leading Hindi News Portal https://ift.tt/3miCahk

Pages