भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज का त्योहार मनाया जाता है। यह व्रत सुहागिन महिलाओं के द्वारा सुख-सौभाग्य की कमाना के लिए रखा जाता है। यह व्रत निर्जला (बिना पानी के) रखा जाता है। इसलिए इस व्रत को बहुत कठिन माना गया है। 21 अगस्त को हिंदू जहां हरतालिका तीज का पर्व मना रहे हैं, वहीं इसके ठीक अगले दिन यानि 22 अगस्त को गणेश चतुर्थी का पर्व है।
हरतालिका तीज: 24 घंटे बिना पानी पिए रहने का संकल्प
हरतालिका तीज का यह व्रत निर्जला होता है, यानी व्रत के दौरान पूरे 24 घंटे तक पानी तक नहीं पिया जाता है। इस व्रत के अधिष्ठाता देव भगवान शिव और माता पार्वती हैं। जिनकी शुभ मुहूर्त में पुजा की जाती है।
वैसे तो यह व्रत अखंड सौभाग्य यानी पति की लंबी उम्र के लिए किया जाता है, लेकिन कई स्थानों पर यह व्रत कुमारी कन्याएं भी करती हैं, जिससे कि उन्हें अच्छा पति प्राप्त हो सके। वहीं कुछ समाजों में इसी दिन राखी का पर्व व जनेउ बदली जाती है।
वर्ष 2020 में तीज का पूजा मुहूर्त...
21 अगस्त,शुक्रवार को - सुबह की पूजा का मुहूर्त 5.54 बजे से 8.30 तक है।
शाम को पूजा मुहूर्त 6 बजकर 54 मिनट से रात 9 बजकर 6 मिनट तक है।
तृतीया तिथि का प्रारंभ 21 अगस्त की 2 बजकर 13 मिनट (02:13 AM) से हो जाएगा।
जबकि तृतीया तिथि की समाप्ति रात 11 बजकर 02 मिनट (11:02 PM) तक होगी, इसी बीच में व्रत रखा जाएगा।
- रात 11 बजकर 02 मिनट (11:02 PM) के बाद चतुर्थी लग जाएगी।
सबसे पहले पार्वती ने किया था शिव के लिए व्रत...
मान्यता के अनुसार हरतालिका व्रत सबसे पहले माता पार्वती ने भगवान शिव के लिए किया था। उन्होंने सखियों के साथ घने जंगल में बालू का शिवलिंग बनाकर व्रत और पूजन किया था। जिसके परिणाम स्वरुप उन्हें स्वयं भगवान पति के रुप में प्राप्त हुए थे, उस दिन भाद्रपद महीने के शुक्लपक्ष के तीज की तिथि थी और हस्त नक्षत्र था। इस व्रत के लिए सखियां माता पार्वती का हरण करके उन्हें जंगल में ले गई थीं, जिसकी वजह से इस व्रत का नाम हरतालिका पड़ा।
खास उपाय : वैवाहिक जीवन को सुखद बनाने के लिए...
हरतालिका तीज के दिन महिलाओं को निर्जला उपवास करने के साथ सायं काल सोलह शृंगार करके किसी शिव के मंदिर में जल चढ़ाना चाहिए, और माता पार्वती को लाल रंग की चुनरी अर्पित करना चाहिए। उसके बाद ॐ गौरीशंकराय नमः मंत्र का जाप करें। चुनरी में अपनी श्रद्धानुसार 7, 11, 21 रु. बांधे। पूजा संपन्न करने के बाद चुनरी में बंधे हुए पैसों के अपने पास रख लें। मान्यता है कि इससे दांपत्य जीवन में खुशियां बनी रहती हैं।
इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें, कथा सुनें और उसके बाद माता पार्वती को खीर का भोग लगाएं। उस खीर को प्रसाद स्वरुप अपने पति को खिलाएं। व्रत का पारण करने के लिए स्वयं भी खीर ग्रहण करें। इससे पति-पत्नी का रिश्ता मजबूत बनता है, और दांपत्य जीवन सुखमय बनता है।
हरतालिका तीज के दिन पूजा संपन्न करने के बाद पांच बुजुर्ग सुहागिन महिलाओं, साड़ी और बिछिया का दान करना चाहिए, और उनसे आशीर्वाद लेना चाहिए साथ ही पति के पांव छूकर आशीर्वाद लेना चाहिए। माना जाता है कि ऐसा करने से दांपत्य जीवन सुखी रहता है।
एक अन्य मान्यता के अनुसार इस दिन पति के हाथ से मांग में सिंदूर भरवाने से पति-पत्नी का रिश्ता मजबूत बनता है, और आपसी प्रेम बढ़ता है। इसलिए इस दिन किसी शुभ मुहूर्त में पति के हाथ से मांग भरवाएं।
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