सनातन धर्म में भगवान शिव का प्रिय माह श्रावण (सावन) माना जाता है। वहीं इस माह के सोमवार का खास महत्व होता है। जबकि हर मंगलवार को मंगलागौरी की उपासना का विधान है।
पंडित सुनील शर्मा के अनुसार श्रावण (सावन) सोमवार व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। ये व्रत सूर्योदय से प्रारंभ कर तीसरे पहर तक किया जाता है। व्रत रखने वालों को इस दिन विधि विधान पूजा कर सोमवार व्रत कथा भी जरूर सुननी चाहिए।
व्रती को एक समय भोजन करना चाहिए। मान्यता है कि इस व्रत को करने से घर में सुख शांति का वास होता है। वहीं इस बार 2020 में श्रावण माह में पड़ने वाले पांच सोमवार में अब सावन का चौथा सोमावर 27 जुलाई को है।
जो भक्त शिवजी को प्रिय श्रावण मास के श्रावण सोमवार के सभी व्रत-उपवास रखते हैं, उन्हें इन चारों व्रत-उपवासों के द्वारा पूरे वर्षभर के सोमवार व्रत करने का पुण्य मिलता है, ऐसा माना जाता है। अत: हर भक्त को श्रावण सोमवार के दिन व्रत के साथ-साथ भगवान शिवशंकर की शुद्ध मन से पूजा-अर्चना अवश्य करनी चाहिए।
27 जुलाई को चौथे श्रावण सोमवार को सप्तमी तिथि है और अष्टमी तिथि का क्षय रहेगा। इसी दिन चित्रा नक्षत्र का भी संयोग बन रहा है। अत: चौथे सोमवार को पूजन का शुभ समय सुबह 6:00 से 7:30 तक, 9:00 से 10:30 तक, 3:31 से 6:41 तक रहेगा और राहुकाल प्रात: 7:30 से 9:00 बजे तक रहेगा। अत: इस समय पूजन करने से बचना चाहिए।
श्रावण सोमवार व्रत से ऐसे पाएं वर्षभर व्रत का पुण्यफल...।
: सोमवार को प्रात:काल ही स्नान करें।
: सुबह स्नान करके सफेद वस्त्र पहनें तथा काम, क्रोध, लोभ, चुगलबाजी आदि का त्याग करें।
: स्नान के उपरांत भोलेनाथ का ध्यान करके अपने घर में बने मंदिर या देवालय में श्रीगणेश के साथ शिव-पार्वती तथा नंदी की पूजा की करें।
: इस दिन आटे की पिन्नी बनाकर नंदी बैल का पूजन करें।
: श्रावण के प्रति सोमवार को गाय को हरा चारा खिलाएं।
: श्रावण सोमवार को मंदिर जाकर भोलेनाथ को प्रसादस्वरूप गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी, चीनी, जल, जनेऊ, भस्म, भांग-धतूरा, चंदन-रोली, बेलपत्र, नीलकमल, कनेर, शमीपत्र, कुशा, कमल, राई और फूल धूप-दीप और श्रीफल अर्पित करें तथा दक्षिणा चढ़ाएं।
: संध्या अथवा रात्रि के समय घी-कपूर सहित धूप की आरती करके शिव का गुणगान करें।
: जितना हो सके अधिक से अधिक 'ॐ नम: शिवाय' का जाप करना चाहिए।
संभव हो, तो मंदिर परिसर में ही शिव चालीसा और रुद्राष्टक का पाठ करें। अगर ऐसा न कर पाएं तो केवल घर पर रहकर ही पूजा कर सकते हैं। व्रत पूजन के बाद व्रत कथा जरूर सुनें। अंत में आरती कर शिव को भोग लगाएं और प्रसाद सभी में वितरित कर दें। इसके बाद भोजन या फलाहार ग्रहण करें।
शिव के मंत्र:–
- ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ।।
- करारचंद्रम वैका कायाजम कर्मगम वी
श्रवणनजम वा मनामम वैद परामहम
विहितम विहिताम वीए सर मेट मेटाट
क्षासव जे जे करुणाबधे श्री महादेव शंभो
- ओम नमः शिवाय
- ओम तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात।
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